एक दूजे के आस
आओ फिर से जी ले उस पल को आज प्रिये जब सिर्फ मुझसे ही मैं थी तेरी साँस प्रिये ह्रदय के प्रेम दस्तक लगते थे जब मंगल गान प्रिये मेरे ह्रदय में बसती थी केवल तेरी जान प्रिये प्रेम के ज्वार भाटे में सब लगता था मधु मास प्रिये चाहत के सफर में हम कहाँ भटक गए आज प्रिये कठीन पल चुभते हैं जैसे कर्कश गान प्रिये हालातों के भँवर में उलझ गया सपनों का संसार प्रिये सिर्फ एक ही दिन क्यों तुम चाँद और मैं चाँदनी प्रिये आओ फिर से ले आएं पहली सी बहार प्रिये इस जीवन को बना ले एक दूजे का आस प्रिये द्वारा - वीणा मिश्रा (रत्ना )